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Showing posts from July, 2019

"कोहबर की शर्त"

'कोहबर' विवाह के रस्म अदायगी में एक पड़ाव जहाँ शादी के पश्चात पहली बार वर वधु मिलते है साथ में जवार की लड़कियां और महिलायें रहती, पुरुष में वर और शाहबाले के अलावा और कोई नही होता है । हँसी ठिठोली और कई तरह के खेल खेलाये जाते है और जो जीतता है वह हारने वाले से कुछ न कुछ शर्त करता है । उपन्यास "कोहबर की शर्त" आंचलिक भाषा पर आधारित एक उपन्यास है जिसके मुख्य पात्र चंदन और गुंजा के प्रेम और बलिदान पर आधारित है। कहानी इतनी संजीदगी से गढ़ी गई है कि आप की आखों को भी नम कर देती है, जैसे-जैसे आप उपन्यास को पढ़ते जाते है सामने वो छवि , आकृति बनती जाती है यह आकृति एक स्वप्न है। विवाह की रात कोहबर के रस्म में चलने वाली नोक-झोंक जो कुछ इस तरह है.... "बहिरे हो क्या,पहुना?या अपनी बहन को याद आ रही है?" "हम क्यो अपनी बहन को याद करे! हमारे तो कोई बहन भी नही है। हम तो दूसरे की बहन लेने आये है!" बारह साल का चंदन तपाक से जवाब देता है । कोहबर की वो नोक-झोंक दोनों को एक ऐसे रास्ते पर लाकर खड़ा कर देती है जो जाकर उस सागर में गिरता जिसे लोग प्रेम, मोहब्बत, इश्क और चाहत कह...