........'"विश्वास"..... . रिश्ते की वो नींव होती है जिसके संबल पर बड़े से बड़े इमारत मजबूती के साथ खड़े होते है पर जब विश्वास की एक भी ईट दरक जाएं न तब वो सारी इमारतें धराशायी हो जाते है जिन्हें हम विश्वास रूपी नींव पर खड़े किए होते है । अगर दुःख मापने के कोई पैमाना होता तो शायद स्वास टूटने की अपेक्षा विश्वास के टूटने पर अधिक होता। इस विश्वास रूपी इमरात का ढहना कइयों को मटियामेल कर देता है । और न जाने कितनों की ये जाने ले लेता है और लेगा भी। पिछले कुछ समय पर गौर करे तो इधर आत्महत्याएं की मामलों में वृद्धि हुई है । अगर हम उन सब मामलों में देखे तो इन सबका कारण यही है । सुशांत हो या सिद्धार्थ , या अनुपमा पाठक। अनुपमा के मामलें को देखे तो उन्होंने आत्महत्या करने के कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर लाइव आकर ही कहती है कि " यहाँ कोई किसी का मित्र नहीं है कोई भी आप का हितैषी नहीं जो बड़ी - बड़ी बातें करता है समस्या आने पर वही सबसे पहले हाथ खड़ा कर देता है । कोई किसी को समस्याओं को समझता ही नहीं है बल्कि समस्या बताने पर उपहास उड़ाने लगता है ।" दरअसल समस्या यही है कि कोई अगर मानसिक ...