शादियों का मौसम चल रहा है, उतनी ही तेजी से छौंका के साथ गर्मी भी लगा रहा है ...... जून के महीने में गर्मी अपने चरम पर होती है, शादी के इस मौसम में बारिसों का संसय बना रहता है , शादी करने वाले कि जी हलकान में रहती है कि कब बारिस हो जाए और कब उनके ख्याबो की उस सजावट पर पानी फेर दे..... ... .... .. शादियों के मौसम में पहले हिंदी के रोमांटिक युग के गानों का बोलबाला होता था ,,..... "वादिये इश्क़ से आया है मेरा शहजादा" जैसे गानों से लेकर "थम के बरस जरा थम के बरस मुझे महबूब के पास जाना है " मेघ देव भी रुख़ जाते थे और बारिस की बूंदे जरूर पड़ जाती थी, खासकर के जून के महीनों में.... अब धीरे-धीरे ट्रेंड बदला हिंदी गानों के जगह आधुनिक भोजपुरी चरितार्थ के गीत बजने लगे है .... वह गाने जो नाच के मंच को सुशोभित करते थे अब वह शादिये के मंडप तक गूंजते है...... "पियवा से पहिले हमार रहलु" से लेकर "देवर करी घात ए राजा" तक... यही तक सीमित नही रहता है "रात दिया बुता के पिया क्या-क्या किया" जैसे गानों से प्रश्न भी पूछ लिया जाता है .....इन सब से मेघ...