. साल था 2008 और तारीख़ थी 18 अगस्त श्रीलंका का दाम्बुला का क्रिकेट मैदान , जब एक 20 साल का नौजवान नीली जर्सी में जो अपने खेल का जौहर दिखा चुका था उसी साल फ़रवरी ।। हालांकि पहले मैच में मात्र 12 रन बनाया पर उस सीरीज में अपना झलक दिखा चुका था...कि क्रिकेट इतिहास में एक बेहतरीन खिलाड़ी मिलने वाला है। भारतीय क्रिकेट को द्रविड़,दादा,लक्ष्मण छोड़ चुके थे, टीम की कमान धोनी के हाथों में थी और एक साथ में थी एक युवा टीम। उस टीम में एक नौजवान था जो भारत को अंडर-19 क्रिकेटवर्ल्ड कप का खिताब दूसरी बार दिलाया था, नाम था 'विराट कोहली'.. वही कोहली जो 2008 में डेब्यू करने के बावजूद 2010 तक भारतीय टीम का परमानेंट मेम्बर नहीं बन पाया। साल था 2009 ईडन गार्डन कोलकाता का मैदान श्रीलंका की टीम भारत के दौरे पर आयी थीं। तारीख था 24 दिसंबर उस कड़ाके की ठंड में कोहली का बल्ला आग उगल रहा था, वह कोहली के बल्ले से वनडे क्रिकेट में पहला शतक था । कोहली के पास कुछ था तो वो था रनों की भूख,आक्रमता,उत्तेजना। साल 2011 के वर्ल्डकप का पहला मैच 19 फरवरी बांग्लादेश के खिलाफ सहवाग जहाँ एक तरफ़ बेहतरीन पारी खेल...
सब कुछ थम सा गया, रात आधी गुजर चुकी है बिस्तर पर पड़ा हूँ कमरे में अँधेरा है सिर्फ एक चिंगारी जल रही है जिसमे मैं तुम्हारा अक्स देख पा रहा हूँ | झींगुरो की आवाजे तो एकदम सुनाई नहीं दे रहे है पता नहीं क्यों ? और तुम्हारी यादें मुझपर हावी हो रही है | इन सब के क्या मायने है मुझे नहीं मालूम, ये सन्नाटा मेरे बिस्तर में सिमट रहा है छू रहा है मुझे पर कुछ मालूम नहीं हो रहा है ?? कुछ देर बाद मैं सो जाऊँगा, और मैं बस सोना चाहता हु | खिड़की से आ रही भीनी- भीनी रौशनी से मैं लड़ रहा हूँ | मै जानता हूँ कि इनसे हार जाऊंगा पर फिर भी क्योकि मैं अब जिद्दी हो गया हूँ , पहले से ज्यादा | मैं जानता हूँ मुझे मनाना कोई नहीं आएगा इसलिए अब मैं गलतिया कर रहा हूँ , इन गलतियों में ही अपने आप को ढूंढ रहा हूँ | मुझे इन सब से फर्क क्यों नहीं पड़ता ये सब सवाल मै दफ़्न करके बैठा गया हूँ | मैं वो सब कुछ हो गया हूँ जो मुझे नहीं होना चाहिए था | इन सब बातो से मुझे कोई गुरेज नहीं है, खैर बस एक चीज है की मैं जिन्दा हूँ और जिन्दा होने के लिए इतना ही काफी है |