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Showing posts from November, 2019

गाँव

" अक्सर गांव पर वही लोग लिखते रहते है, कि गाँव बदल गया है जो पूर्णतः छोड़ चुके होते जिनके लिए गांव सिर्फ छुट्टी काटने और मौज करने के लिए ही सीमित रह गया और कहते है कि गांव अब बदल गया है " एक गांव में दो दोस्त थे, नाम था चेतन और आनंद, हर शाम उनकी मस्ती भरी रहती थी ठंडी गर्मी जाड़े की ज़रा भी उनको फिक्र नही होती थी,,,गर्मी के दुपहरी में कभी इस आम के पेड़ पर कभी उस आम के पेड़ पर चढ़कर उसपर लगे टिकोरे को झाड़ देते थे , आम के साथ साथ गालियां भी उन्हें नमक स्वरूप खानी पड़ती थी, सिर्फ गालियां ही सीमित नही थी बाकायदा चप्पल और डंडे की भी जबरदस्त मार पड़ती थी,,,, उन दोनों का बचपन बड़े मस्ती और शरारत के साथ बीता,,, पढ़ाई भी साथ में करते रहे उन मस्ती भरी जिंदगी के बीच कब उन दोनों ने इंटर पूरा कर लिया उन्हें पता भी न चला ,,, अब बारी थी शहर में जाकर पढ़ने की सो दोनों शहर की ओर कूच कर लिए, एक जज्बा था कुछ कर गुजरने का उन दोनों के अंदर, चूंकि होता क्या है कि आदमी दो ही तरह से अपने आप को स्थापित कर पाता है एक होता है क़िस्मत, पर उन दोनों के पास वो था नही अगर होता तो गरीब के यहाँ क्यो पैदा होते। द...

"ख़्वाब" (लप्रेक)

जिंदगी में तमाम ख़्वाब होते है, उनमें से तुम्हारे साथ होना एक है। तुम मेरी कविताओं की अधूरी अल्फाज़ हो तुम्हारे वगैर मेरी कोई कविता मुक़म्मल नही होतीं। जब भी लिखने की कोशिश करता हूं तुम ही ख्यालों में आ जाती हो और तुम्हारे इसी तरह आने से मेरी कविता मुक़म्मल हो जाती है। जब भी मैं नदी के तट पर बैठता हुँ, धारा प्रवाह को एक टक देखते हुए तुम्हारे ही बारे सोचता हूँ... अब देखो न हम सिर्फ ऊपरी प्रवाह की गति को देख पाते है पर जो उसके भीतर हलचल होती है न ही हम उसे देख पाते है और न ही उसके बारे में सोचने की कोशिश करते है। सूर्य की किरणें जैसे जैसे मंद होती है ऊपरी सतह की गति वैसे-वैसे मंद होती जाती है पर नीचे की सतह पर,,,, उसपर इसका कोई प्रभाव नही पड़ता वो अपनी गति से बहती जाती है... तुम्हारे साथ भी मैं कुछ ऐसे ही बहना चाहता हूँ... किसी के प्रभाव से हमारे बहने की गति को प्रभावित ना करें।