तुम्हारे लिए❤️
टेबल लैंप जल रहा है कमरे में पर पता नहीं मुझे क्यों अँधेरा सा महसूस हो रहा हैं... रात एकदम मौन है कोई हलचल नहीं कोई उथलपुथल नहीं, जो भी कुछ भी चल रहा है वो सिर्फ मेरे दिल-ओ-दिमाग में चल रहा हैं.. आँखे झेंप रही है और सिर्फ तुम्हारे ही ख़यालात आ रहे है... उस दिन की तरह सादे लिबाज़ में तुम्हारा बदन मेरे बंद आँखों के सामने दिख रहा है ... मुझे पता नही तुम मेरा लिखा हुआ कभी पढ़ती हो या नहीं पर फिर भी मैं तुम्हारे ही ख्याल में डूबकर लिख रहा हूँ.. कहते है न कि उम्मीद पर दुनिया कायम है बस इसी मूलमंत्र को गांठ बानकर लिख रहा हूँ, कि तुम जरूर पढ़ रही होंगी...
सोचता हूँ कि काश ! उस दिन तुम मुझे न दिखी होती तो क्या होता.. क्या मैं इस तरीके से कभी लिख पाता...... मुझे पता नहीं..... जानती हो ! अक्सर मुझसे लोग सवालात करते है कि तुम किसके लिए लिखते हो... उस वक्त मैं एकदम मौन हो जाता हूँ जिस तरह ये रात मौन है.... काश उस दिन तुम्हारे वो मौन मुस्कान मेरे दिल मे घाव न किये होते .. वो सादगी उस दिन मुझे तुम्हारी तरफ आकर्षित नहीं की होती.. तो क्या होता ... क्या तब भी मुझे ये रात मौन से ही दिखाई पड़ते!!!
.
आज सुबह लाइब्रेरी गया था एक क़िताब इशू कराने के लिए... और अचानक आज मैम ने एक सवाल कर दिया..
"बेटा पहले तुम बहुत क़िताब पढ़ते थे, अब तुम दिखाई नहीं देते.." जानती हो ये बात एक चोट की तरह लग गयी ... और उस किताब को पढ़ रहा था तभी ये वाक्या दिमाग मे कौंध उठा... की मैंने आख़िर ये सब क्या
किया...... पर दिल है उसका अपना अगल ही मामला है कभी-कभी दिल और दिमाग में द्वंद भी रहते है.... बस समझो मैं उसी द्वंद के बीच पड़ा हूँ...! उस दिन किताब की बातें न मुझसे की होती तो... हर वक़्त परीक्षाओं के खौफ़ को मुझसे न कही होती तो....
...
बस इन्ही सब उल जुलूल सवालों के बीच पड़ा हुँ मैं, खड़ा हूँ मैं.... अब तो लगता है तुमसे संपर्क भी टूट गया है मेरा जैसे 'विक्रम' का मंगल के करीब-करीब पहुँच कर टूट गया था... पर जानती हो इसरो के वैज्ञानिकों का हौसला नहीं टूटा उन्होंने एक बार फिर 'विक्रम' को भेजने की तैयारी कर ली है....
टेबल लैंप जल रहा है कमरे में पर पता नहीं मुझे क्यों अँधेरा सा महसूस हो रहा हैं... रात एकदम मौन है कोई हलचल नहीं कोई उथलपुथल नहीं, जो भी कुछ भी चल रहा है वो सिर्फ मेरे दिल-ओ-दिमाग में चल रहा हैं.. आँखे झेंप रही है और सिर्फ तुम्हारे ही ख़यालात आ रहे है... उस दिन की तरह सादे लिबाज़ में तुम्हारा बदन मेरे बंद आँखों के सामने दिख रहा है ... मुझे पता नही तुम मेरा लिखा हुआ कभी पढ़ती हो या नहीं पर फिर भी मैं तुम्हारे ही ख्याल में डूबकर लिख रहा हूँ.. कहते है न कि उम्मीद पर दुनिया कायम है बस इसी मूलमंत्र को गांठ बानकर लिख रहा हूँ, कि तुम जरूर पढ़ रही होंगी...
सोचता हूँ कि काश ! उस दिन तुम मुझे न दिखी होती तो क्या होता.. क्या मैं इस तरीके से कभी लिख पाता...... मुझे पता नहीं..... जानती हो ! अक्सर मुझसे लोग सवालात करते है कि तुम किसके लिए लिखते हो... उस वक्त मैं एकदम मौन हो जाता हूँ जिस तरह ये रात मौन है.... काश उस दिन तुम्हारे वो मौन मुस्कान मेरे दिल मे घाव न किये होते .. वो सादगी उस दिन मुझे तुम्हारी तरफ आकर्षित नहीं की होती.. तो क्या होता ... क्या तब भी मुझे ये रात मौन से ही दिखाई पड़ते!!!
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आज सुबह लाइब्रेरी गया था एक क़िताब इशू कराने के लिए... और अचानक आज मैम ने एक सवाल कर दिया..
"बेटा पहले तुम बहुत क़िताब पढ़ते थे, अब तुम दिखाई नहीं देते.." जानती हो ये बात एक चोट की तरह लग गयी ... और उस किताब को पढ़ रहा था तभी ये वाक्या दिमाग मे कौंध उठा... की मैंने आख़िर ये सब क्या
किया...... पर दिल है उसका अपना अगल ही मामला है कभी-कभी दिल और दिमाग में द्वंद भी रहते है.... बस समझो मैं उसी द्वंद के बीच पड़ा हूँ...! उस दिन किताब की बातें न मुझसे की होती तो... हर वक़्त परीक्षाओं के खौफ़ को मुझसे न कही होती तो....
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बस इन्ही सब उल जुलूल सवालों के बीच पड़ा हुँ मैं, खड़ा हूँ मैं.... अब तो लगता है तुमसे संपर्क भी टूट गया है मेरा जैसे 'विक्रम' का मंगल के करीब-करीब पहुँच कर टूट गया था... पर जानती हो इसरो के वैज्ञानिकों का हौसला नहीं टूटा उन्होंने एक बार फिर 'विक्रम' को भेजने की तैयारी कर ली है....
शानदार मुकेश बाबू।लिखते रहिये शुभकामनाएं
ReplyDeleteVery Great Sir
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