"इश्क पर जोर नहीं है वो आतिश गालिब
कि लगाए न लगे और बुझाए न बुझे"
पता नहीं कौन सी इज्जत और सम्मान के लिए लोग कत्लेआम करते हैं जिसे ऑनर किलिंग कहते हैं।
चाहे वह एक मजहब के हो या अलग-अलग मजहब के पर इन सब मामलों में हमारा समाज आज भी पीछे हम हर तरफ से तो विकसित हुए हैं पर ये गंदी सोच लोगों के जेहन से नहीं निकल पाए हम लाख गुना पढ़-लिख और एक आदर्श समाज की कल्पना करें पर जो सामाजिक रूढ़ियां हैं जिससे हम ऐसे किसी भी आदर्श समाज का निर्माण नहीं कर सकते ।
जो भी समाज सुधारक हैं सब ने अंतर्जातीय विवाह की वकालत की पर वह कभी समाज ने स्वीकार नहीं किया
जब कन्या भ्रूण हत्या और बाल यौन शोषण का मामला आता है तब वह इज्जत का ख्याल क्यों नहीं आता
इज्जत हमें तभी याद आती है जब लड़की अपने मन से शादी करती है.........
कि लगाए न लगे और बुझाए न बुझे"
पता नहीं कौन सी इज्जत और सम्मान के लिए लोग कत्लेआम करते हैं जिसे ऑनर किलिंग कहते हैं।
चाहे वह एक मजहब के हो या अलग-अलग मजहब के पर इन सब मामलों में हमारा समाज आज भी पीछे हम हर तरफ से तो विकसित हुए हैं पर ये गंदी सोच लोगों के जेहन से नहीं निकल पाए हम लाख गुना पढ़-लिख और एक आदर्श समाज की कल्पना करें पर जो सामाजिक रूढ़ियां हैं जिससे हम ऐसे किसी भी आदर्श समाज का निर्माण नहीं कर सकते ।
जो भी समाज सुधारक हैं सब ने अंतर्जातीय विवाह की वकालत की पर वह कभी समाज ने स्वीकार नहीं किया
जब कन्या भ्रूण हत्या और बाल यौन शोषण का मामला आता है तब वह इज्जत का ख्याल क्यों नहीं आता
इज्जत हमें तभी याद आती है जब लड़की अपने मन से शादी करती है.........
👌
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